नैन तारा
*गीत-नैन तारा*
जगमगाये नैन तारा l
दूर तक नभ पथ निहारा l
दृष्टि अंबर तल बिछाए ,
व्यग्रता के युग बिताए l
प्राण करते हैँ प्रतीक्षा,
साँवरे प्रियतम न आए
दृष्टि में नित आस लेकर,
पंथ मेघों का बुहारा l
तीव्र होती नेह ज्वाला,
दंश देता है उजाला l
चित्त में आशा मिलन की,
कामना की कंठ माला l
रोम प्राणों में शिरा में,
बह चली है प्रेम धारा l
ऊष्णता की यह तितिक्षा,
धैर्य संयम की परीक्षा l
कर रहा व्याकुल पपीहा,
स्वाति वारिद की प्रतीक्षा l
मन प्रणय की याचना ले,
फिर हृदय चातक पुकारा l
©संजीव शुक्ला 'रिक्त'
आ हा!! अति सुंदर एवं मनमोहक गीत सृजन 💐🙏🏼
जवाब देंहटाएंसादर आभार l 🙏
हटाएंकर रहा व्याकुल पपीहा, स्वाति वारिद की प्रतीक्षा...अत्यंत अद्भुत गीत सर।🙏🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गुंजित 😊💐
हटाएंलाजवाब सृजन
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय l 🙏🙏
हटाएं